Bhagat Singh Biography.
आज जिस इंसान की बायोग्राफी हम पढ़ने जा रहे है , उसके बिना आज़ादी अधूरी थी | जी हा , आज़ादी अधूरी होती अगर भगत सिंह , सुखदेव और राजगुरु जैसे महान लोगो ने अपना बलिदान ना दिया होता |
आप में से बहुत लोग ये सोचते होंगे की ये तीनो इस लिए अमर हो गये क्युकी इन्होने अपना बलिदान देश के लिए दे दिया था | ये भी एक बात है पर इन तीनो का अपने देश के लिए क़ुरबानी देने का मकशद कुछ और ही था | दरअशल कई बार हमे आज़ादी मिलते -मिलते रह गयी क्युकी देश के सभी लोग एक साथ नहीं थे | जिसका अंग्रेजी सरकार फ़ायदा उठा लेती और हमे आज़ादी मिलते -मिलते रह जाती | जहा कोई अकेले दिल्ली में अंग्रेजो के खिलाफ लड़ रहा था , तो कोई लाहौर में अकेले लड़ रहा था |इस कारण को भगत सिंह ने समझा और देश के सभी लोगो को एक साथ लाने के लिए अपनी क़ुरबानी दे दी | जी हा , उनकी क़ुरबानी के बाद जो देश में एक आज़ादी की क्रांति आयी , उसी कारण देश एक जुट हुआ और सभी ने अग्रेजो के खिलाफ बगावत का एलान कर दिया | जिसके बाद ही अंग्रेजो ने हिदुस्तान को छोड़ने का फैसला किया |
अगर भगत सिंह ऐसा नहीं करते तो शायद देश को आज़ाद होने में और भी कई साल लग जाते |
उनकी बायोग्राफी को शुरू करने से पहले हमने कुछ लाइन लिखी है , जोकी शयाद आपको पसंद आये –
” ऐ वतन तू सलामत रहेगा ,
मेरे जीते जी ना दर्द सहेगा ,
मैं अगर मर भी गया तेरी हिफाज़त में ,
और वीर पैदा होंगे इस भारत में “
भगत सिंह का जन्म 27 सितम्बर 1907 को पंजाब के नावंशहर जिले के खटकर गांव में हुआ था | वह सिख परिवार में जन्मे थे | भगत सिंह के जन्म पर उनके पिता और उनके दो चाचा जेल से निकले थे | दरअशल भगत सिंह में देश के प्रति कुछ कर गुजरने का जज़्बा बचपन से ही था , और ये जज़्बा उनको उनके पिता और चाचा से मिला | भगत सिंह बचपन से ही औरो बच्चो से अलग देश के लिए नारे लगाते , जहा उनकी उम्र के बच्चे स्कूल जाकर घर में ही रहते | वही भगत सिंह उस उम्र में अपने चाचा से युद्व सीखा करते थे | वह कई बार तो स्कूल से लौटते समय किसी मैदान में रुक कर वहा अपने दोस्तों के साथ कुस्ती किया करते थे | उनका देश के प्रति ऐसा लगाव देख उनकी माँ को डर लगता था , की कही ये भी अपने चाचा जैसा ना बन जाये | दरअशल उनके चाचा अंग्रेजो के खिलाफ खूब लड़ा करते और कई अंग्रेजो को तो उन्होंने मार दिया था | जिसके चलते उनके चाचा को गोली मारने तक की सजा दे दी गयी थी |
एक बार भगत सिंह ने अपनी माँ से एक सवाल पूछा की ” माँ हम अंग्रजो को भगा क्यों नहीं देते , जिसपर की उनकी माँ ने कहा की बेटा वह 10 लाख लोग है , हम उनका सामना नहीं कर सकते है “
जिसका जबाब भगत सिंह ने ये दिया की ” माँ पर हम भारतीय तो 10 करोड़ से भी ज्यादा है और 10 करोड़ तो 10 लाख से ज्यादा होता है , ना ? इस बात को सुनकर उनकी माँ समझ चुकी थी की भगत अपने देश के लिए कुछ बड़ा जरूर करेगा |
भगत सिंह जब मात्र 12 साल के थे तभी उन्होंने कुछ ऐसा सुना की वह अब अंग्रेजो से और भी ज्यादा नफरत करने लगे | हुआ यूँ की , अंग्रेजी सरकार के सामने कई हज़ारो लोग खड़े होकर उनका विरोध करने लगे , जो की अंग्रेजो को कतई मजूर ना था | जिसको लेकर अंग्रेजो के ही एक जर्नल सिपाही जर्नल डायर ने जल्लिया वाला कांड करवा दिया | जिसमें की उन्होंने कई हजारो लोगो के ऊपर गोलिया चला दी | उन्होंने हराजो भारतीओ को जल्लिया वाला बाग़ में बुलकर उनको चारो तरफ से घेर लिया | जिससे की लोगो को भागने की जगह तक ना मिले और फिर गोली चलने की इज़्ज़त दे कर हजारो बेगुनाहो को मार दिया | लोग अपनी जान बचाने के लिए बाग़ में मजूद एक कुए में कूदने लगे और उस कुए में इतने लोग कूदे की आज भी जब उस कुए में से पानी निकला जाता है तो उसमे से खून निकता है |
जब ये बात भगत सिंह को पता लगी तो वह अपना स्कूल ख़त्म होने के बाद वह उसी बाग़ में गए और वहा कई सारी लासो को देख उनके अनोखो में पानी आ गया | उन्होंने वहा से कुछ मिट्टी उठाई और घर वापिस आ गए | उस मिट्टी को अपने भगवान् के पास रख भगत सिंह रोज उसकी पूजा करते थे |
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गाँधी से क्यों नाराज हुए भगत सिंह – Bhagat Singh Biography
ये बात भी बहुत दिलचप्स है की जो भगत, गाँधी जी को इतना मानता , उनके आज़ादी के नारो को गलियों में बोला करता वह कैसे गाँधी से नाराज हो गया ? तो ये बात तब की है, जब गाँधी जी ने जल्लिया वाला बाग़ कांड के खिलाफ “नॉन कोप्रोरेशन मूवमेंट ” देश भर में छेड़ देते है | जिससे भगत सिंह को लगा की अब तो जल्द ही अंग्रेज हिंदुस्तान को छोड़ कर चले जायेंगे | ये बात वह सबसे कहने लगे की अब हम जल्द ही आज़ाद होंगे | भगत सिंह , गाँधी जी के इस आंदोलन को लेकर काफी खुश थे तभी उन्हें ये पता चला की गाँधी जी ने ये आंदोलन वापिस ले लिया है | उन्हें इस बात से बहुत दुःख पंहुचा | उसके बाद से ही वह गाँधी जी से नाराज हो गए |
कैसे हुई राजगुरु और भगत सिंह की मुलाकात जानिए –
भगत सिंह अभी बिलकुल अकेले थे ,जिस वजह से उन्हें सपोर्ट करने वाला कोई नहीं था | पर जल्द ही वो वक़्त आया जब वह एक सेना में शामिल हुए | पहले तो ये जानते है की राजगुरु से कैसे उनकी मुलाकात हुई ? तो हुआ यूँ की, भगत अपनी आगे की पढाई करने के लिए लाहौर में ही सन 1923 में नेशनल कॉलेज में अपना एडमिशन ले लिया | तब राजगुरु हर स्टूडेंट को देश भक्ति सीखते और जो ना सीखता ,उसे मारते थे | की तभी राजगुरु को ये पता चला की उनके कॉलेज में एक हिंदुस्तानी लड़का अंग्रजो के सामने परदे वाला शो कर रहा है | जिस पर राजगुरु बहुत गुस्सा हुए और अपने साथियो के साथ वह शो के हॉल में पहुंचे ,और प्लान ये था की जैसे ही भगत सिंह ये शो में आएंगे वैसे ही वह पत्थर फेकना शुरू कर देंगे |
पर जैसे ही भगत सिंह ने अपना शो शुरू किया वैसे राजगुर का सारा गुस्सा शांत हो गया |क्युकी भगत सिंह ने उस शो में अंग्रजो को ये दिखाया की हम हिंदुस्तानी तुम्हे जल्द ही हिंदुस्तान से भगा देंगे | जिसे देखने के बाद राज गुरु और भगत सिंह की जोड़ी बन गयी और दोनों जिगरी यार हो गये |
भगत सिंह की मुलाकात चंद्र शेखर आज़ाद से कैसे हुई – Bhagat Singh Biography
ये बात भी उनके कॉलेज के ही समय हुई | जब राजगुरु के साथ मिलकर भगत सिंह कुछ अंग्रेजो को पीटा करते , उनके दुरव्यवहार करने पर , की तभी , उनके कॉलेज के ही एक professor ने उन्हें रामप्रसाद बिस्मिल से मिलने को कहा और वहा उनकी पार्टी से जुड़ने को कहा | तब भगत सिंह और उनके सभी साथी बिस्मिल के साथ जुड़ गए | पर जल्द ही बिस्मिल अंग्रेजो के हाथ लग लगे और फिर उनकी इस पार्टी को चंद्र शेखर आज़ाद संभाने लगे | वही उनकी मुलकात आज़ाद जी से हुई | फिर दोनों ने मिलकर कई लड़ाईया लड़ी एक साथ |
इसी बीच सुखदेव भी अब इस पार्टी का हिसा बने और फिर भगत सिंह के साथ उनकी दोस्ती काफी अच्छी बन गयी | पर भगत सिंह अब भी खुश नहीं थे क्युकी वह सभी देश के लोगो को अलग-अलग देखकर दुखी थे | तब उन्होंने सोचा की क्यों ना हमारी ये आवाज सभी देश के लोगो तक पहुंचाई जाए , तब उन्होने अंग्रेजो के कोर्ट में जाकर दो से तीन बम फोड़ दिया | है पर , उस बम से किसी की भी जान नहीं गयी थी क्युकी भगत सिंह सिर्फ और सिर्फ अपनी आवाज लोगो तक पहुंचना चाहते थे | उसके बाद उन्हें अंग्रेजी सिपहीयो ने पकड़ लिया और जेल में डाल दिया |
वहा उन्होंने देखा की अंग्रजी कैदियो के साथ अच्छा व्यवहार हो रहा है ,उनको अच्छा खाना मिल रहा है | वही हमारे साथ इसके बिलकुल उलट हो रहा है | इस देख उन्होंने जेल में आंदोलन छेड़ दिया और फिर 56 दिनों तक वह बिलकुल ही भूखे प्यासे रहे | फिर जाकर अंग्रेजो को भी झुकना पड़ा |
इसी दौरान उनके लिए कई लोग अंग्रजो का विरोध करने लगे | जिससे की भगत सिंह बहुत खुश हुए | और शायद यही बात थी की अगर वह चाहते हो गाँधी जी को एक पत्र लिख कर अपने आपको बचा सकते थे पर उन्होंने ऐसा नहीं किया | और गाँधी जी भी यह बात समझ चुके थे |
फिर वो दिन आ गया जब अंग्रजो ने उन्हें फांसी पर चढ़ाने का हुक्म दे दिया | क्युकी उनके ही कुछ गद्दार साथियो ने उनके खिलाफ गवाही दे दी | उसके बाद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर 23 अप्रैल 1931 को लटका दिया गया | उसके बाद भी अंग्रेज इतना डरे हुए थे की उन्होंने चोरी छुप्पे पहले तो फांसी दे दी और उसके बाद जेल के पीछे के रस्ते कही दूर उन्होंने इन तीनो को फेक दिया | भगत सिंह पढ़ने के इतने शौक़ीन थे की अंतमि वक़्त भी वह बुक ही पढ़ रहे थे | ऐसे वीरो को हम सभी का नमन | जय हिन्द , जय भारत | भगत सिंह अमर रहे राजगुरु अमर रहे सुखदेव अमर रहे|

कुछ रोचक बाते भगत सिंह के बारे में – Bhagat Singh Biography
- भगत सिंह के पिता का नाम किशन सिंह था |
- भगत सिंह की माता का नाम विद्यावती था |
- भगत सिंह को उनके घर वाले प्यार से भगु कहते थे |
- भगत सिंह चंद्र शेखर आज़ाद के बाद मरे थे |
- भगत सिंह ने भारतीय समाजवादी युवा संगठन का गठन किया था |
- भगत सिंह और उनके कई साथियो को बम बनाना आता था |
- भगत सिंह एक साल तक अपनी माँ के कहने पर एक तवेले में काम किया था |
- भगत सिंह ने अपनी जीवन की कहानी जेल में खुद लिखा है | पर वह अंग्रजो ने जला दी |
- भगत सिंह अपने बचपन में अपने पिता से पोछते की हम जमीन में बन्दुक क्यों नहीं उगा सकते |
- भगत सिंह के परिवार वाले उनकी शादी करना चाहते थे , जिसे देखकर वह घर छोड़ कानपूर गए थे |
- भगत सिंह बहुत अच्छे अभिनेता भी थे , वह कॉलेज दिनों में खूब नाटकों में हिस्सा लिया थे |
- भगत सिंह ने हिन्दू मुस्लिम के दंगो को देख ये कहा की वह नास्तिक है |
- भगत सिंह ने ही इंकलाब जिंदाबाद जैसे नारे देश को दिए |
- भगत सिंह के कपडे आज भी सुरक्षित है |
- भगत सिंह की चिता एक बार नहीं दो बार जलाई गयी थी |
- राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को हुआ था |
- राज गुरु का पूरा नाम शिव राम हरी राजगुरु था |
- राजगुरु के पिता का नाम हरी नारायण गुरु था |
- राजगुरु की माता का नाम पारवती बाई था |
- राजगुरु, भगत सिंह और सुखदेव को फांसी पाकिस्तान के लाहौर दी गयी थी |
- सुखदेव का जन्म 15 मई 1907 को हुआ था |
- सुखदेव का पूरा नाम सुखदेव थप्पड़ था |
- सुखदेव के पिता का नाम रामलाल थप्पड़ था |
- सुखदेव की माता का नाम रैली देवी था |
- सुखदेव की बेटी का नाम मधु सहगल था |
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