Biography of Rani Lakshmi Bai In Hindi-
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“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी , खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी |”
जी हां , बिलकुल खूब लड़ी रानी वह तो झाँसी वाली रानी थी | देश की पहली महिला जिसने स्वतंत्रता सेनानी बनकर अंग्रेजो को चित कर दिखया था | अपने जीते जी अंग्रेजो को झांसी पर कब्ज़ा नहीं करने दिया था | आज ऐसे ही भारत की एक वीर पुत्री के बारे में हम और आप मिलकर जानेगे | तो चलिए बिना देरी इसे शुरू करते है ” Biography of Rani Laxmi Bai “आज कई सारी कहानिया आपको जानने को मिलेगी , बहुत कुछ है इस पोस्ट में तो इस पोस्ट को पूरा पढ़े ताकि आप हर वो छोटी चीज रानी लक्समी बाई के बारे में जान सके जोकि आपको प्रेणना दे और उनका इतिहास बता सके |तो चलिए जानते है “मणिकर्णिका” के नाम से जन्मी कैसे बनी रानी लक्समी बाई |
शुरआती जीवन (Early Life )
रानी लक्समी बाई के नाम से मशहूर भारत की ये वीर पुत्री का जन्म अंग्रेज शासक काल में 19 नवंबर, 1828 को वाराणसी के जिला भदैनी के अस्सी घाट के अस्सी मोहल्ले में हुआ (कही कही इनके जन्म का साल 1835 में भी बताया जाता है ) | वह एक मराठी करहदे ब्राह्मण परिवार में जन्मी अपने माता-पिता की एकलौती संतान थी |
उनके जन्म के समय उनका नाम मणिकर्णिका रखा गया , और प्यार से उन्हें मनु बुलाया जाता था | बाद में ये नाम झांसी की रानी में तब्दील हो गया क्युकी उनका विवाह झांसी के 5वें राजा श्री राजा गंगाधर राव नेवालकर से हो गया |
अंग्रेजो को हर क्षेत्र में पस्त करने वाली इस वीर महिला के पिता का नाम मोरोपंत ताम्बे था , जोकि एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा कर रहे थे | वही उनकी माताजी का भागीरथी सप्रे (भागीरथी बाई) था |
जब मनु चार साल की हुई तो उनकी माताजी का देहांत हो गया , इसके बाद उनके पिताजी उनको अपने साथ बाजीराव के दरबार ले आये , वैसे बाजीराव की अपनी कोई संतान नहीं जिस वजह से फिर उन्होंने अपने वंस को आगे बढ़ने के लिए नाना साहिब को गोद लिया था |
बाजीराव के दरबार आते ही मणिकर्णिका यानि की मनु ने सबका दिल जीत लिया | सबका दिल जीत वहा मनु को एक नया नाम मिला जोकि था छबीली जिसका की अर्थ चंचल होता है वहा सब उन्हें छबीली कह कर सम्बोधित करते थे |
यहाँ से ही उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त की और वह उस समय किसी भी और महिला की तुलना में ज्यादा आज़ाद थी जिस वजह ही उन्होंने अपने दोस्तों यानि की नाना साहिब और तात्या टोपे के साथ मिलकर घुड़सवारी , तलवार बाजी और शूटिंग सीखी |
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कैसे मणिकर्णिका का नाम लक्समी बाई पड़ गया ? (How Manikarnika got the name Laxmi Bai?)
जब मणिकर्णिका यानि की मनु 14 साल की हुई तो उनका विवाह झांसी के 5वें राजा श्री राजा गंगाधर राव नेवालकर से हो गया | जिस वजह से झांसी के राजा की पत्नी का नाम झांसी की रानी पड़ गया |
उस दौर में कई प्रथाये चलती थी जिसमें से एक प्रथा ये थी की जब भी किसी लड़की का विवाह होगा तो उसका एक नया नाम उसके ससुराल वाले रखेंगे | जिसके चलते ही मणिकर्णिका का नाम बदल कर लक्समी बाई हो गया |
ये नाम उनके ही पति श्री राजा गंगाधर राव नेवालकर ने उन्हें दिया था | उन दोनों का विवाह झांसी के ही पास मौजूद एक गणेश मंदिर में हुआ था |
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विवाह के बाद का संघर्ष ?(Conflict after marriage?)
दोनों विवाह के प्रश्चात काफी खुश थे पर झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर की तबियत ज्यादातर ख़राब ही रहती थी | जिस वजह से राजमहल में हमेशा ख़ामोशी छाई रहती थी | लेकिन ये ख़ामोशी जल्द ही खुशिओ में बदल गई जब साल 1951 में रानी लक्समी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका की नाम दामोदर था |
सभी राजमहल के लोग बहुत खुश थे , लेकिन उनकी ये ख़ुशी ज्यादा दिन तक नहीं रह पाई क्युकी मात्र 4 महीने बाद ही उस बालक की मृत्यु हो गई | जिसे देख झांसी के महाराजा गंगाधर राव नेवालकर ने अपने वंस को आगे बढ़ाने के लिए एक बालक गोद लिया जिसका की नाम आनंद राव नेवालकर था |
अपने पुत्र को झांसी का क़ानूनी वारिस बनने के लिए रानी लक्समी बाई लन्दन की अदालत तक गई थी | लेकिन वहा भी उन्हें कोई इन्साफ नहीं मिला और अंग्रेजी हुकूमत ने उन्हें झांसी को छोड़ देना का फरमान सौप दिया | लेकिन रानी लक्समी बाई ने ये प्रण कर लिया की वह झांसी को उन अंग्रेजो के हाथ नहीं सौपेंगी |
जब एक अंग्रेज दूत उनके महल में ये प्रस्ताव लेकर आया की आप झांसी को छोड़ दे , तब झांसी की रानी , रानी लक्समी बाई ने ये कहा “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी” | यहाँ एक तरफ झांसी के राजा गंगाधर राव नेवालकर की तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो रही थी |
जिस वजह से झांसी के आसपास मौजूद कई राज्य झांसी पर हमला कर झांसी को जीत लेना चाहते थे | उन्हें ये मौका तब दिखना शुरू हुआ जब साल 1853 , 21 नवंबर को झांसी के महाराजा की मृत्यु हो गई | रानी लक्समी बाई अब बिलकुल अकेले पड़ गई थी |
झांसी को कमजोर देख कई राज्यों ने उनपर हालमा कर दिया लेकिन रानी लक्समी बाई ने उनके इस हामलो को सफल नहीं होने दिया और सभी दुश्मन राज्यो को असफल कर दिया |
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अंग्रेजो के खिलाफ पहला विद्रोह कब शुरू हुआ ? (When did the first rebellion against the British begin?) (Biography of Rani Lakshmi Bai In Hindi)
रानी लक्समी बाई ने अंग्रेजो को साफ़ मना कर दिया था की वह उन्हें झांसी नहीं देंगी | जब तक मैं अपनी आखिरी सांसे लुंगी तब तक मैं झांसी किसी के भी हाथ नहीं दूंगी | लेकिन अंग्रेजी हुकूमत उस वक़्त हिमालय की चोटी पर थी , वह हर राज्य को जीत लेना चाहती ताकि वह अपनी कंपनी का विस्तार और बढ़ा सके |
साल 1856 तक आते आते अंग्रेज आधे से ज्यादा हिन्दुस्तान पर अपना कब्ज़ा कर चुके थे | साथ ही वह हिंदुस्तान के आपसी राज्यों के राजाओ को लड़ाकर उसे अपनी भूमि बना लेते थे | आज़ादी की लड़ाई अब शुरू ही होने वाली थी , जल्द ही इसका विगुल भी बज गया |
जब मंगल पांडेय ने अंग्रेजो के खिलाफ विरोध शुरू किया तब सभी स्वतंत्रता सेनानी एक साथ आ गए | झांसी पर अंग्रेजो की नजर बहुत पहले से ही इसी को देख अब साल 1857 में जब 10 मई को अंग्रेजो के खिलाफ मेरठ में विरोध शुरू हुआ तो ये खबर रानी लक्समी बाई तक भी पहुंची , और वह भी इस जंग में शामिल हुई |
कैसे लड़ी रानी लक्समी बाई ? (How did queen Laxmi Bai fight?) (Biography of Rani Lakshmi Bai In Hindi)
इसी को देख अंग्रेजो ने भी झांसी पर हमला कर दिया | रानी लक्समी बाई ने इसके लिए पूरी तैयारी कर राखी थी उन्होंने किले के चारो ओर कई सारे तोपे भी रखवाई थी |
रानी लक्समी बाई ने और भी तोपों को बनने के लिए अपने महल का सारा सोना , चांदी और भी कई आभूषण सब तोपों को बनने वाले सामान के लिए दे दिया था | रानी लक्समी बाई की ऐसी कुशलता को देख अंग्रेज हुकूमत के सेनापति भी चकित थे |
पर अंग्रेजो की संख्या काफी ज्यादा होने की वजह से उन्होंने झांसी को चारो तरफ से घेर लिया था | अंग्रेजो ने करीबन 8 दिनो तक झांसी पर तोप के गोले बरसाये लेकिन वह झांसी को ना जीत सके | रानी और उनकी प्रजा ने ये प्रण कर लिया था की वह झांसी को अपनी आखिरी सांसो तक नहीं छोड़ेंगे वह अंग्रेजो की हुकूमत के साथ लड़ते रहे |
अंग्रेजो को झांसी की जीत का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था तो उन्होंने कूटनीति का इस्तेमाल किया और फिर उन्होंने झांसी के ही एक कांयर दूल्हा सिंह को अपने संग मिला लिया और फिर अंग्रेजो ने झांसी में प्रवेश कर झांसी को तहस-नहस करना शुरू कर दिया |
रानी लक्समी बाई घोड़े पर सवार दाहिने हाथ में तलवार लिए और अपने बच्चे को पीठ में बंधे वह अंग्रेजो से लड़ रही थी | लेकिन अंग्रेजो की संख्या ज्यादा होने की वजह से जल्द ही रानी लक्समी बाई अब पूरी तरीके से अंग्रेजो से घिर चुकी थी | लेकिन फिर भी अपनी हिम्मत ना हार वह कालपी की ओर चल पड़ी | लेकिन दुर्भाग्य से एक गोली रानी लक्समी बाई के पैर में लग गई |
रानी ने अपने घोड़े को फिर भी दौड़ाने की कोशिश की लेकिन इस बार भी दुर्भाग्य से उनके सामने एक नाली आ गया जिसे की वह घोडा पार नहीं कर सका | तभी एक अंग्रेज ने पीछे से तलवार से वार किया और रानी लक्समी बाई के सर का पिछले हिस्सा काट गया और उनकी एक आंख बाहर निकल गई | लेकिन इस सब के वावजूद भी रानी लक्समी बाई लड़ती रही और साथ ही उनके साथ गौस खान भी मौजूद थे |
उन्हें देख कई अंग्रेज भाग खड़े हुए | और रामभाव देशमुख भी साथ ही थे उन्होंने रानी का रक्त से लहू लुहान शरीर उठाया और बाबा गंगादस के पास पहुंचाया पर अब बहुत ही देर हो चुकी और रानी लक्समी बाई अब इस दुनिया में नहीं रही थी | वहा बाबा गंगादास ने उनके बच्चे को उनसे अलग रखा और फिर उन्होंने उनके प्राथिव शरीर को अग्नि दी | इसी अग्नि के साथ रानी लक्समी बाई इस दुनिया में अमर हो गई |
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कुछ बहुत ही जबरदस्त फैक्ट्स रानी लक्ष्मी बाई के बारे में -(Facts)
- रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर, 1828 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी के भदैनी में अस्सी घाट पर हुआ था |
- रानी लक्ष्मी बाई 18 जून 1858 ग्वालियर में शहीद हुई थी |
- रानी लक्ष्मी बाई के दूसरे बेटे को उनके पति ने अपने ही भाई के बच्चे से गोद लिया था |
- रानी लक्ष्मी बाई की शादी मजह 14 वर्ष की उम्र में ही हो गई थी |
- रानी लक्ष्मी बाई की मौत जिसकी तवार से हुई थी उस शक्श का नाम हूजे रोज था | जिन्होंने रानी लक्ष्मी बाई की बहुत तारीफ भी की है |
- रानी लक्ष्मी बाई ने मात्र 18 साल की उम्र में ही झांसी की गद्दी संभाल ली थी |
- रानी लक्ष्मी बाई ने तात्या टोपे और नाना साहिब के साथ मिलकर युद्ध के कई पत्रे सीखे |
- रानी लक्ष्मी बाई को झांसी छोड़ 60000 रूपये पेंशन लेने के लिए अंग्रेजी सरकार ने कहा था जिसे की झांसी की रानी ने साफ़ माना कर दिया था |
- रानी लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजो से लड़ने के लिए 1857 में 14000 सैनिको की फौज खड़ी कर दी थी |
- रानी लक्ष्मी बाई के पति का देहांत 21 नवंबर ,1853 को हो गया था |
- रानी लक्ष्मी बाई की गोद से जन्मे बच्चे का नाम दामोदर था |
- रानी लक्ष्मी बाई के सबसे पसंदीदा घोड़ो के नाम सारंगी , पवन बदल था |
- रानी लक्ष्मी बाई के ऊपर एक मूवी साल 2019 में 25 जनुअरी को रिलीज़ हुई थी |
- रानी लक्ष्मी बाई की फिल्म मणिकर्णिका ने 150 करोड़ रूपये की कामयी सिनेमा घरो में की |
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