Mangal Pandey Biography in Hindi
आज हमारा देश आजाद है , ये कहना कितना सरल है , पर देश की ये आजादी कई वीरो के खून से मिली है, हमें | वैसे तो कई वीरो ने इस आजादी के लिए अपनी ज़िंदगिया तक खुर्बान कर दी | पर उन लाखो वीरो को जगाने वाले वीर थे मंगल पांडेय , जी हां , मंगला पांडेय | जब इस देश में कही कोई देश की आजादी के लिए नहीं लड़ रहा था , तो ये वीर अकेले ही उन अंग्रेजो से भीड़ गए थे | इन्हे देश के पहले फ्रीडम फाइटर के नाम से भी जाना जाता है और वह महान इंसान है मंगल दिवाकर पांडेय जी , की बायोग्राफी को आज हम पढ़ने जा रहे |
तो चलिए जानते है देश के पहले क्रांतिवीर मंगल पांडेय के बारे में –
मंगल पांडेय(Movie) का जन्म 19 जुलाई, 1827 उत्तर प्रदेश , जिला बल्लीअ ,गांव नगवा में एक ब्राहिम परिवार में हुआ था | जहा मंगल पांडेय एक ब्रामिन परिवार से थे , तो लाज़मी है की उन्हें बचपन से ही जात-पात , उच नीच , पूजा-पाठ करना सिखाया गया था |
यहाँ एक बात गौर करने लायक है की वह उच नीच में तो विश्वास करते थे पर कभी किसी धर्म या हिन्दू-मुस्लिम के ऊपर कोई दूरवेहवार जैसे काम अपने पुरे जीवन में नहीं किया | बल्कि वह तो एक जुट होकर रहते थे | यहाँ तक की जब वह अंग्रेजो की फौज में थे , तो वहाउनके कई दोस्त मुस्लिम थे | मंगल पांडेय के पिता का नाम दिवाकर पांडेय था , जोकि एक ब्राह्मण पंडित थे | और वही उनकी माता जी का नाम अभैरानी पांडेय था , जोकि एक ग्रहणी थी | मंगल पांडेय बचपन से ही पूजा पाठ बहुत किया करते थे | जिस वजह से उनका लोगो के बीच बहुत सम्मान था | वह पूजा पाठ के साथ-साथ पहलवानी भी किया करते थे | जिस वजह से उनका शरीर किसी पत्थर की भहति सख्त हो गया था | वह किसी भी पहलवान को चुटकियो में धूल चटा दिया करते थे |
अब आगे जानते है की क्यों उन्होंने अंग्रेजो की गुलामी कबूल की और एक अंग्रेजी सिपाही बन गए | दरअशल ये बात तब की जब अंग्रेज पूरी तरीके से भारत को अपने कब्जे में ले चुके थे , सभी भारतीओ से वह बहुत सारा कर वसूल करते ,और उनपे बहुत से अनन्य भी करते थे | जिस से वहा के किसान भी परेशान होकर अंग्रेजो की फौज में चले जाते और उनकी गुलाबी करते | वैसे भी , बहुत से अंग्रेज इस निति को अपना कर हर हिंदुस्तानी जो की उनको कोई काम का लगता वह उसे गुलाम बना लेते और फिर उन्ही गुलामो को लेकर वह दूसरे देश पे हमला कर उन्हें जीत लेते थे और उस हमले में मारे गए सारे हमारे भारत के सिपाही होते थे | ऐसा नहीं है की सभी अंग्रेज इस निति से खुश थे , पर जो ना खुश थे उन्हें या तो हटा दिया जाता या उनको मार दिया जाता था |
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और उस वक़्त तक कोई भी इन अंग्रेजो के खिलाफ बोलने वाला नहीं था | हलाकि कुछ लोग थे , जो कुछ करना तो चाहते थे पर वह भारतीओ में इन अंग्रेजो के प्रति कोई आक्रोश नहीं देखते , जिस वजह से वह भी पीछे हट जाते थे |
तो इन्ही सब बातो को लेकर मंगल पांडेय के पास भी कोई उपाय नहीं था | तो उन्होंने भी अंग्रेजो की फौज में जाने का फैसला कर लिया और वहा जाकर वह अंग्रेजो की फौज में शामिल हो गए | इस के पीछे भी एक कारण था | दरअशल मंगल पांडेय एक बड़े ही अच्छे मित्र थे , जोकि अंग्रेज ही थे और अंग्रेजो की सेना में काम करते थे | वह दोनों काफी अच्छे दोस्त थे | जिस वजह से जब ये फैसला उन्होंने लिया तो उनके दोस्त ने भी इसके लिए हां कह दिया था | उसके बाद मंगल पांडेय भी सेना में शामिल हो गए |
धीरे-धीरे कुछ समय बिता तब तक सब कुछ अच्छा चल रहा था | पर एक दिन अंग्रेजो के बड़े साहब ने मंगल पांडेय को ये आर्डर दिया की वह कुछ भारतीयो पर गोली चलाये , जिस पर की उनके हाथ पहले तो बहुत कापे पर बाद में उन्होंने गोलिया चला दी | उसी दिन के बाद से उनके सीने में अंग्रेजो के प्रति एक जनआक्रोश पैदा हुआ | उसके बाद फिर कुछ दिन बीते ही थे , की तभी अंग्रेजो ने अपनी सेनाओ के लिए नयी बंदूकों को हिंदुस्तान मंगवाया | उसके बाद ये अफवाह जंगल में आग की तरह फैल गई की इन बंदूकों को चलाने में गाय और सूगर के मांस का उपयोग होता है | उसके बाद ये बात धीरे-धीरे मंगल पांडेय के कानो तक पहुंची , पर मंगल पांडेय ने पहले इस बात पे यकीन नहीं किया|और जिसने उनको ये बात बताई थी , उसे उन्होंने बहुत पीटा | पर जब ये सभी लोग बोलने लगे तो वह सीधे अपने उसी अंग्रेज दोस्त के पास गए और फिर उन्होंने उनसे ये बात पूछी , पर उनके उस दोस्त को को भी ये बात पता ना थी | कुछ दिन बीते तो उनके दोस्त को उनके ही सीनियर अफसरों ने ये बात बिलकुल झूठी बताई और फिर उन्होंने भी मंगल पांडेय से ये बात कह डाली | जिसके बाद उन्हें यकीन हुआ की ये बात झूठी है |की नयी बंदूकों में गाय और सुगरो का मांस उपयोग होता है
लेकिन एक दिन जब उन्हें ये बात उनके ही कुछ दोस्तों ने उनकी आँखो के सामने दिखाई तो मानो की वह आग के गोले बन गए | और सबसे पहले वह अपने उस अंग्रेज दोस्त के पास गए और कहा की “आज से ये दोस्ती ख़त्म क्युकी तुमने मेरा धर्म भष्ट किया है ” ये कहकर वहा से चले गए | उसके बाद उन्होंने अपने कुछ साथियो से साथ मिलकर एक जंग लड़ने का एलान किया | उसके बाद उन्होंने और उनके साथियो ने एक प्लान बनाया था |और तो और अगर उनका ये प्लान अगर कामयाब हो जाता तो हमे अंग्रेजो से 100 साल पहले ही आजादी मिल गई होती |पर कुछ दिनों तक अंग्रेजो की नाक में दम करके बैठे मंगल पांडेय के साथ अब आधा हिंदुस्तान आ खड़ा हुआ था , जोकि बहुत थे , इन अंग्रेजो को भारत से भागने के लिए |
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पर अंग्रेजो की सबसे बड़ी निति रही डिवाइड एंड रूल का उन्होंने इस्तमाल करके जल्द ही रकून से बहुत भरी मात्रा में अंग्रेजी सिपाही को मंगवा लिया क्युकी उन्हें मंगल पांडेय का प्लान , मंगल पांडेय के एक साथी से पता चल चूका था | जिस से की मंगल पांडेय को समहलने का मौका नहीं मिला | लेकिन फिर भी मंगल पांडेय ने हार नहीं मानी और आखिर तक लड़े, जब तक की उन्हें अब उनकी मौत सामने नहीं दिखी , वह लड़ते रहे | और आखिर में उन्होंने खुद को ही गोली मार दी | लेकिन उस गोली के लगने के बाद भी मंगल पांडेय बच गए , जिस वजह से उन्हें अंग्रेजो ने पकड़ लिया और उन्हें 18 अप्रैल , 1857 को फांसी पर चढ़ाने का आर्डर दे दिया | पर मंगल पांडेय की ये आग अब पुरे देश में लग चुकी थी , जिसे देखकर अंग्रेजो ने उन्हें कई लोगो के सामने 12 दिनों पहले ही 8 अप्रैल ,1857 को फांसी दे दिया|
लकिन इस फांसी के बाद जो सैलाब आया उसके बाद तो जहा भी अंग्रेज दीखते लोग उन्हें जान से मार देते | इस दौरान रानी लक्समी बाई , तात्या टोपे जैसे कई महावीर भी इस जंग में शामिल हुआ थे | जब भी हिंदुस्तान की आजादी की बात आएगी तो उसमें सबसे पहला नाम मंगल पांडेय का ही होगा | “ये आजादी की लड़ाई है ….. गुजरे हुए कल से आजादी … आने वाले कल के लिए …”
मंगल पांडेय के बारे कुछ रोचक बाते -Mangal Pandey Biography
- मंगल पांडेय सबसे पहले फ्रीडॉम फाइटर थे , जो देश के लिए शहीद हुए थे |
- मंगल पांडेय ने ही देश की आजादी के लिए पहली गोली चलिए थी |
- मंगल पांडेय ने ईस्ट इंडिया के लिए 22 साल की उम्र से काम करने लगे थे |
- मंगल पांडेय 1850 में बाबर्रैकपुर में आ गया थे |
- मंगल पांडेय ने अपने जीवन कल में कभी शादी नहीं की |
- मंगल पांडेय ने अंग्रेजो की आर्मी 1849 में ज्वाइन की थी |
- मंगल पांडेय वह पहले फ्रीडम फाइटर थे , जो पूरा देश के लोगो की आजादी की बात कही थी |
- मंगल पांडेय ने 19 जुलाई 1856 को पहली आजादी की लड़ाई लड़ी थी |
- मंगल पांडेय को उनके धर्म भष्ट की खबर के नीची जाती वाले व्यक्ति ने बताई थी |
- मंगल पांडेय मात्र 29 साल की उम्र में ही शहीद हो गये थे |
- मंगल पांडेय को 12 दिन पहले ही फांसी पर चढ़ा दिया गया था |
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