Ratan Tata Biography
रतन टाटा दुनिया के महान उद्योगपतिओं में से एक , आज टाटा ना केवल इंडिया में बल्कि पूरी दुनिया में अपना उद्योग लेकर बैठे है | आज अगर 100 गाड़ी एक साथ कही हो तो उसमे से 70 गाड़ी टाटा की ही होंगी | इतने बड़े उद्योग के मालिक रतन टाटा आज भी अविवाहित है | रतन टाटा का साम्राज्य इतना बड़ा है की वह दुनिया के सबसे अमीर इंसान बन सकते है , पर रतन टाटा अपने लाभ का करीबन 65 प्रतिशत चैरिटी को दान कर देते है और यह , वह ना केवल अभी कर रहे है बल्कि कई सालो से करते चले आ रहे | रतन टाटा को हमेशा से शादा जीवन पसंद रहा है | क्या आपको पता है की ताज होटल टाटा की ही देन है , और यह भारत की शान है | इसके पीछे उनके दादा जी जमशेदजी टाटा का हाथ रहा है | इसके पीछे की कहानी बड़ी ही रोचक है , आगे आपको इसके बारे में पता चलेगा |तो चलिए जानते है रतन टाटा के जीवन की कहानी –
उसे बताने से पहले आप ये बताते चले की टाटा उद्योग की नीव रतन टाटा के दादाजी ने रखी थी , जिनका की नाम जमशेतजी नुस्सेरवांजी टाटा था | इनका जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी में हुआ था | इन्होने टाटा उद्योग की स्थापना 1868 में मुंबई में एक टेक्स्ट टाइल कंपनी से की | ये उद्योग इतना बड़ा हो गया की बाद में जमशेतजी टाटा को लोग इंडिया के उद्योग के पिता के नाम से भी बुलाने लगे | एक पावरफुल देश की नीव उसकी स्टील कंपनीया ही रखती है , जिनका स्टील उद्योग बड़ा होगा उनका देश भी उतना ही बड़ा होगा | इसी वजह से टाटा आज पुरे देश की शान है | और ये भारत की इकॉनमी का आधा हिस्सा भी लाती है , आज देश की जीडीपी टाटा की वजह से ही सुरक्षित है , नहीं तो ये इतना बुरा हो जाता की हम-और- आप सोच भी नहीं सकते है | तो अब शुरू करते है रतन टाटा की कहानी |

Source-Ratan Tata Facebook
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर,1937 को बॉम्बे में हुआ , जोकि अब मुंबई के नाम से जाना जाता है | रतन टाटा का पूरा नाम “रतन नवल टाटा” है | उनके पिता का नाम “नवल जमशेदजी टाटा” है , वही उनकी माता का नाम “सूनी टाटा” है | दरअशल उनके फॅमिली को समझना काफी मुश्किल है | अगर आपको उनके फॅमिली के बारे में जानना है तो यहाँ क्लिक करके जाने |
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रतन टाटा स्कूल और कॉलेज –
रतन टाटा की स्कूलिंग कैंपियन स्कूल से शुरू होती है और जॉन कणों स्कूल पे ख़त्म होती है | उसके बाद रतन टाटा अपने आगे की पढाई करने के लिए अमेरिका आ जाते है , जहा उनका एडमिशन कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में हो जाता है | रतन एक आर्किटेक्ट बनना चाहते थे | जिसे वह साल 1962 B.S. आर्किटेक्ट की डिग्री लेकर अपनी कॉलेज की पढाई ख़त्म करते है | उसके बाद उन्हें उस टाइम की सबसे बड़ी कंपनी IBM को ज्वाइन करने का ऑफर आता है , जिसे वह स्वीकार करते है और IBM में काम करने लगते है | तभी 15 दिनों बाद उन्हें उनके चाचा जी का कॉल आता है , और वह उन्हें इंडिया वापिस बुलाते है, और कहते है , की चलो अब टाटा कंपनी में काम करो | रतन टाटा अपने चाचा को अपना आइडल मानते है , और इंडिया वापिस आ जाते है |
रतन टाटा का का टाटा ग्रुप में आना –
रतन टाटा अब भारत आ जाते है और कुछ सालो तक बिज़नेस के बारे में सीखते है , और टाटा ग्रुप में शामिल हो जाते है | अब साल 1971 में उनके चाचा ज.र.डी टाटा, रतन टाटा को उनका एक बिज़नेस सँभालने को देते है | जोकि बहुत ही बुरी हालत में होता है , फिर जब रतन टाटा उस बिज़नेस को सँभालते है , तो वह बिज़नेस काफी ज्यादा लाभ कमाने लगता है | जिसे देखकर उनके चाचा उनसे काफी खुश हो जाते है | फिर वह साल 1991में टाटा ग्रुप से रिटायर हो जाते है , और रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन घोषित कर दिया जाता है |
रतन टाटा और फोर्ड की कहानी – Ratan Tata Biography in Hindi
ये किस्सा शायद आप में से बहुत लोग जानते होंगे , पर अगर नहीं जानते है , तो हम आपको बता दे की , जब रतन टाटा , टाटा ग्रुप के चेयरमैन बने तो , उनके कंपनी के ही कुछ लोग उनसे जल रहे थे क्युकी वह सोचते थे, की रतन टाटा चेयरमैन बनने के योग नहीं है , पर हीरे की फारख तो सिर्फ जोहरी को ही होती है , जैसे की उनके चाचा को थी |
पर रतन टाटा को तो ये साबित करना अभी बाकि था , फिर कुछ साल बीते तो उन्होंने टाटा के उद्योग को और बढ़ाना शुरू किया और धीरे-धीरे ये उद्योग बढे भी | पर कुछ समय बाद उन्होंने इंडिका कार मार्किट में उतारी , और वह कार मार्किट में बुरी तरीके से फ्लॉप हो गयी |
जिसके बाद तो आलोचकों ने उनकी खूब आलोचना की , फिर उन्होंने इंडिका कार को बेचने का सोचा और वह अपना ये प्रस्ताव लेकर अमेरिका चले गये , जहा उन्होंने फोर्ड कंपनी के चेयरमैन बिल फोर्ड से करीबन 4 घंटे बात की , जिसमें की बिल फोर्ड ने उनका अपमान ये कहकर किया की ” अगर आपको गाड़ी बनानी नहीं आती तो बनाते ही क्यों हो ” और ” हम आपकी ये गाड़ी खरीद कर आप पे एक बहुत बड़ा अहसान कर रहे है ” |
जिसे सुनकर रतन टाटा को बहुत बुरा लगा और वह मीटिंग को छोड़ कर वापिस इंडिया आ गए | उसके बाद उन्होंने कार बेचने का प्लान कैंसिल किया , और फिर से एक नयी कार बनाने का सोचा , और अब ये कार मार्किट में जादू की तरह छा गया | उसके बाद तो रतन टाटा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा | वह खुद भी कहते है की ” मैं सही फैसले लेने में यकीन नहीं रखता , मैं तो फैसलों को सही करने में यकीन रखता हु ” |
अब साल 2008 का वक़्त आया जब टाटा पूरी दुनिया पर राज कर थी | उसी वक़्त फोर्ड की कंपनी काफी घाटे में जा रही थी | तभी रतन टाटा ने फोर्ड़ की कंपनी को उनकी दो कार जैगुआर और लैंडरोवर खरीदने का प्रस्ताव रखा | जिसे की फोर्ड की कंपनी उसी तरह स्वीकार किया , और रतन टाटा से ये कहा की ” आप हमारी कारो को खरीद कर हम पे अहसान कर रहे है ” | तो ऐसे लिया उन्होंने अपने अपमान का बदला |ये किस्सा कई बार नए बिज़नेसमन सुनकर काफी मोटीवेट भी होते है |
तो चलिए अब जानते है क्यों टाटा नैनो इंडिया में फ्लॉप हुई – Ratan Tata Biography in Hindi
दरअशल रतन टाटा आम लोगो को खुश देखने के लिए हमेशा कुछ ना कुछ करते ही रहते है , और वह आम लोगो के लिए हमेशा कोई न कोई प्रोडक्ट लाते ही रहते है , जैसे की घर की चायपत्ती और भी बहुत कुछ | जब रतन टाटा ने आम लोगो के लिए कार का सपना देखा तो उन्होंने टाटा नैनो को मार्किट में उतारने का सोचा , जिससे आम लोग भी अपनी फॅमिली के साथ कार में घूम पाए |
कार का दाम 1 लाख रखा गया | और शायद यही वजह रही जिससे की ये कार मार्किट में नहीं चली क्युकी लोगो को ये पुअर पीपल वाली फीलिंग देने लगा | जिससे की जिसके पास भी नैनो है वह गरीब है , और यही वजह रही की यह कार मार्किट में नहीं चली |
टाटा और ताज होटल का कनेक्शन क्या है –
ये बात शायद ही आम है की ताज होटल ना निर्माण रतन टाटा के चाचा ने करवाया था | जी है ज.म.डी. टाटा ने , उन्होंने ताज होटल निर्माण 1903 में 4 करोड़ रुपए से भी ज्यादा देकर करवाया था | दरअशल एक बार जब वह विदेश गए थे , तो उन्हें एक होटल के आगे एक पोस्टर दिखा जिसमें की लिखा था की, यहाँ कुत्तो और भारतीयों का आना सख्त मना है |
जिसे उन्हें काफी दुःख हुआ और इंडिया आके उन्होंने दुनिया का सबसे सुन्दर होटल बनाने का सोचा , तब ताज होटल बनाने की शुरआत हुई | यही नहीं साल 2008 हुए 26\11 आतंकवादी हमले में , जितने भी घायल व्यक्ति थे , उनकी मदद रतन टाटा ने की , यहाँ तक की ताज होटल के बहार ठेली लगाने वाले व्यक्तिओ की भी मदद रतन टाटा ने ही की |
रतन टाटा अपने वर्कर्स का काफी ख्याल भी रखते है | टाटा में जॉब लगना किसी सरकारी नौकरी से काम नहीं है | टाटा अपने वर्कर्स का ख्याल शादियों से रखती चली आयी है |
कुछ रोचक बाते रतन टाटा के बारे में – Ratan Tata Biography in Hindi
- रतन टाटा , टाटा के वारिस नहीं है उनके पिता को गोद लिया गया था |
- रतन टाटा 21 साल तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे , जिसमें की उन्होंने टाटा का बिज़नेस 50 प्रतिशत से भी ज्यादा कर दिया |
- टाटा ग्रुप के अंदर 100 से भी ज्यादा कंपनी आती है , जिसमें की चाय से लेकर 5′ स्टार होटल तक और सुई से लेकर जैगुआर तक शामिल है |
- जब रतन टाटा 10 साल के थे तो उनके माता पिता अलग हो गये थे | जिस वजह से उनकी दादी ने उनको संभाला |
- रतन टाटा को अपने पुरे जीवन में 4 बार प्यार हुआ , एक बार तो शादी होते होते रह गयी |
- रतन टाटा को दुनिया के सबसे बड़े यूनिवर्सिटी हार्वर्ड से मणियत्ता प्राप्त है | उनके नाम का एक ऑडिटोरियम हार्वर्ड में मौजूद है |
- रतन टाटा को कुत्ते से बहुत प्यार है , साथ ही उन्हें प्लेन उड़ाने का भी काफी शौक है , उनके पास प्लेन उड़ाने का लाइसेंस भी है |
- रतन टाटा ने टाटा को 1961 में ज्वाइन किया था , और वह एक टाटा वर्कर के रूप में टाटा से जुड़े थे |
- रतन टाटा को पद्मा भूषण और पद्मा विभूषण भी मिल चूका है , और जल्द ही भारत रत्न भी मिलने वाला है |
- रतन टाटा का धर्म पारसी है |
- रतन टाटा को लोग हॉलीवुड का हीरो भी कहते थे |
- रतन टाटा ने 15 दिन IBM कंपनी के लिए भी काम किया है |
- रतन टाटा नए नए स्टार्टअप में भी इन्वेस्ट करते है जैसे की ओला ,उबेर और पेटीम में भी |
- रतन टाटा एक आर्किटेक्चर बनना चाहते थे |
- रतन टाटा को अमेरिका घूमना काफी पसंद है |
- रतन टाटा की पसंदीद कार है फेरारी |
- रतन टाटा को लाल कलर बहुत पसंद है |
हाल ही में आये Corona संकट में उन्होंने भारत को 1500 करोड़ रुपये दान देने की घोषणा की है, और ये कहा की अगर और जरूरत पड़ी तो अपनी पूरी सम्पति वह दान देंगे |
दरअशल ये बात बहुत से बड़े लोगो में पायी जाती है की वह जितने ही अमीर होते है उतने ही दान वीर भी होते है |
रतन टाटा का कहना है की मैं भारत को सबसे अमीर नहीं बल्कि सबसे खुशहाल देश देखना पसंद करूँगा |
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