Ravish kumar Biography
आज जहा देश में अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है | वही मीडिया सरकार से सही मुद्दो को ना पूछ कर चुपी साधे हुई है | जिस वजह से मीडिया से लोगो का विश्वास उठ रहा है | पर वही कुछ ऐसे भी मीडिया कर्मी है जो दिन रात मेहनत करके जनता के सही मुद्दे सरकार से पूछ रही है और वो अलग बात है की सरकार इसका जवाब नहीं दे पा रही है | उन्ही कुछ पत्रकरो में से एक है रविश कुमार | रविश कुमार ना केवल देश के सही मुद्दे पक्ष में बैठी सरकार से पूछ रहे है बल्कि लोगो को जागरूक भी कर रहे है | आज झूठी खबरे लोगो को गुमराह कर रही और लोगो के बीच आक्रोश पैदा कर देती है | जिस वजह से लोगो में आपसी मतभेद हो जाता है और वो दोनों आपसे में ही लड़ लेते है |
रविश कुमार अपने पत्रकरीता से लोगो को सही जानकारी ही नहीं केवल उसके साथ झूठ जो समाज में फ़ैल जाता है उसको भी सही से जनता के समक्ष रखते है |
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पर हर तरह से कई लोगो ने उनको सच का साथ ना देकर हमारा साथ दे जैसे कई अन्य ऑफर दिए पर रविश ने कभी उनका साथ नहीं दिया | एक बार उनको जान से मरने की धमकी मिली पर फिर भी उन्होंने सचाई का साथ नहीं छोड़ा |
तो चलिए जानते है ऐसे निडर पत्रकार के बारे में –
रविश कुमार का जन्म 5 दिसंबर, 1974 को बिहार के मोतिहारी शहर में हुआ था | आज जो सादगी और जमीन से जुड़े आप उनको देखते हो वह उनके बचपन में गांव और वहा की मिट्टी पले-बड़े होने की वजह से है | उनका किसानो के साथ बात करना हो या किसी दिग्ज नेता के साथ उनकी पत्रकारिता हमेशा सरल शोभाव में हमेशा से रही है | अपने सरल शोभाव में कई कठिन प्रश्न पूछने वाले रविश बताते है की वह बचपन से ही काफी सरल शोभाव के है |
अपनी शुरआती पढाई पटना के कान्वेंट स्कूल से की | वहा से आगे वह अपना करियर सिविल सर्विस में बनाना चाहते थे जिस वजह से उन्हें दिल्ली सिफ्ट होना पड़ा और यहाँ वह अपनी ग्रेजुएशन के साथ सिविल सर्विसेज जैसी परिक्षों की भी त्यारी करने लगे और साथ में अपनी ग्रेजुएशन दिल्ली के देशबंधु कॉलेज से कर रहे थे | अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा दी पर वहा अपना इंटरेस्ट ना होने की वजह से वह 1 से 2 परीक्ष देने के बाद उन्होंने वह छोड़ दिया | एक किस्सा रविश बताते है की उनके शुरआती दिनों में उन्हें इंग्लिश बोलने वालो से काफी डर लगता था जिस वजह से उन्होंने अपनी कॉलोनी ही चेंज कर दी और वह से वह गोविन्द पूरी एरिया में आ गये|
अपनी ग्रेजुएशन के बाद आगे चलकर उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ़ फिलोसोफी की डिग्री ली और आगे चलकर उन्होंने इंडियन इंस्टीटूट ऑफ़ मास्स कम्युनिकेशन से अपना डिप्लोमा किया | अब वो वक़्त गया जब रविश ndtv के साथ जुड़े 1996 में और अपने पत्रकारिता जीवन की शुरआत की | जल्द ही लोगो को उनकी पत्रकारिता बहुत पसंद आने लगी और उन्होंने भी लोगो का दिल अपनी पत्रकारिता से जीता |
उनका जमीन से जुड़ा भेवहार देखकर आम लोगो भी अब उनके इस अंदाज़ के दीवाने हो गये थे| उन्होंने अपने शुरआती दिनों में हम लोग, रविश की रिपोर्ट प्राइम टाइम जैसे कई शो किये | अपने जबरदस्त काम की वजह से उन्हने 2003 और 2017 में राम नाथ गोयनका इन जर्नलिज्म अवार्ड से भी नवाज़ा गया | हाल ही के दिनों ही उन्हें दुनियाँ का सबसे बड़ा पुरुष्कार भी मिला जिसका नाम रामों मग्सय्सय अवार्ड था जो की कुछ ही गिने चुने लोगो को मिल पता है |
पर हमेशा सचाई पे अड़े रहने वाले रविश बताते है की कई बार उन्हें जान से मारने की धमकी मिल चुकी है पर फिर भी अपनी सचाई पे टिके रविश कुमार हमे सचाई का साथ ना छोड़ने की सीख देते है |
रविश और नयना दासगुप्ता की लव स्टोरी-
रविश कमर और नयना का यह किस्सा भी काफी इंटरेस्टिंग है रविश ने इसके ऊपर एक बुक भी लिखी है जिसका नाम A city happens in love रविश और नयना की दोस्ती दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढाई करने के दौरान हुई और ये दोस्ती देखते ही देखते कब प्यार में बदल गयी दोनों को पता ही नहीं चला | रविश बताते है की शुरआत में उनका पास पैसा ना होने की वजह से नयना और वो काफी वाकिंग किया करते थे और पैदल ही कई सारी बाते किया करते थे | कुछ सालो तक नयना और रविश ने एक दूसरे को डेट की उनके बाद उन्होंने अपने परिवार वालो को नयना के बारे में बताया जिस पर की उनके परिवार वाले नहीं मने क्युकी नयना बंगाली और दूसरी जाती की थी | पर कहते है ना की प्यार कहा जाती धर्म देखता है रविश ने भी परिवार ने विरुद्ध जाकर नयना से शादी कर ली | नयना बताती है की रविश की सिनेस्स उनको काफी अच्छी लगती जिस वजह से उन्हें रविश से प्यार हो गया| नयना और रविश के 2 बेटिया है और नयना दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिस्ट्री की सीनियर प्रोफेसर है | भगवान् इनकी फॅमिली को हमेश खुश रखे |
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