Swami Vivekananda Biography
आज एक ऐसे आदमी की बायोग्राफी हम आपको बताने जा रहे है जिन्हे शायद सिर्फ आदमी कहना उचित नहीं होगा क्युकी वह एक भगवान् थे , जी हां, एक भगवान्, क्युकी बचपन से ही उन्हें भगवान् के दरशन हो जाते थे | यहा तक की उन्हें अपनी आँखों के सामने भगवान् नजर आते थे | वह है श्री स्वामी विवकानदा जी | ना केवल एक असाधारण यह पुरुष थे बल्कि अपने असाधारण कामो से ही इन्होने हिन्दुओ की छवि पुरे विश्व भर में उजागर कर के रख दी | इन्ही की वजह से आज हिन्दुओ को विदेशो में सम्मान के साथ देखा जाता है और हिन्दू धर्म को इन्होने एक अलग पहचान दिलाई |
इनसे कई बड़े-बड़े लोग प्रेरित होते रहे है और आज भी कई करोड़ो लोग इनसे ही प्रेरणा लेते है | फिर चाहे वह हमारे देश के प्रधानमत्री श्री नरेंद्र मोदी जी , सुभाष चंद्र बोसे या महात्मा गाँधी जैसे बड़े सोच वाले लोग ही क्यों ना हो | और ना केवल देश बल्कि विदेश के लोग भी उन्हें अपना गुरु मानते है चाहे वह निकोला टेस्ला जैसे बड़े वैज्ञानिक हो या फिर ननसँ मंडेला जैसे बड़े नेता ही क्यों ना हो | वह सभी के लिए एक प्रेरणा रहे है |
तो चलिए जानते है ऐसे महा पुरुष श्री स्वामी विवेकानद जी के बारे में – Swami Vivekananda Biography in Hindi
स्वामी विवेकानद जी का जन्म 12 जनुअरी 1863 को गौरमोहन मुखर्जी नगर कलकत्ता में हुआ | इनके जन्म से पहले की थोड़ी कहानी जान ले की | स्वामी जी के जन्म के पहले उनकी माता जी महादेव की खूब पूजा करती थी और हमेशा एक सुन्दर पुत्र की अभिलाषा रख , महादेव से पुत्र मांगा करती थी | जिससे उन्हें सपने में महादेव भी कहते थे की जल्द ही तुम्हे पुत्र की प्राप्ति होगी | और ऐसे ही स्वामी विवेकानद जी का जन्म हुआ | वह दिन भी बड़ा ही शुभ था जब स्वामी जी जन्मे , और वह दिन था मकरसक्रांति का , मकरसक्रांति के सुबह 6.33 पर उनका जन्म हुआ और सूर्य की तरह ही वह प्रकाशवान दिखाई पड़ रहे थे | मनो जैसे ज्योति जाल रही हो |
उनका जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ | वह परिवार दत्ता परिवार था | उनके पिता जी ने उनका नाम नरेन्द्रनाथ रखा और उनकी माता उन्हें नरेन् कह कर बुलाती थी | नरेंद्र अपने परिवार में जन्मे 6वे बच्चे थे | वही उनके परिवार में कुल 10 बच्चे थे | जिसमें 4 पुत्र और 6 पुत्री थी | दरअशल जब दत्ता परिवार में सबसे पहले पुत्र और फिर पुत्री ने जन्म लिया तो उन दोनों की मृत्यु बचपन में ही हो गयी थी | जिसके चलते उनके परिवार में सभी दुखी रहते थे पर बाद में जाकर सब फिर से ठीक हो गया था |
शांत स्वभाव के स्वामी जी बचपन में बहुत ही ज्यादा शरारती हुआ करते थे | उनके शरारत के चर्चे पुरे गली-मुहल्ले में मशहूर थे | पर जैसे जैसे उनका ध्यान भगवान् की ओर आने लगा वैसे-वैसे वह कम शरारती होते चले गए | ये भी एक बहुत प्रचित किस्सा है की स्वामी जी हृदय के इतने कोमल थे की वह किसी को भी कष्ट नहीं पहुंचते थे |
यहाँ तक की उनका सन्यासियों के प्रति ऐसा लगाव था की जहा भी उन्हें संस्यासी देखते वही सब कुछ उन्हें भेट कर दिया करते थे | फिर चाहे वह पैसा हो कपडे हो या खाना हो सब कुछ उन्हें भेट कर प्रसन हो जाते थे | एक बार तो उन्होंने अपने घर के अंदर से ही घर का सारा सामान बहार फ़ेंकने लगे | उन संस्यासीयो के लिए | उनका संस्यासीयो के प्रति ऐसा लगाव देख मनो रेगिस्तान में पानी के लिए प्यास जैसी हो |
Dhirubhai Ambani Biography (Click Here)
भगवान् के प्रति उनका ये ध्यान तब लगना शुरू हुआ जब वह अपनी माँ के मुख से वेद , पुराण , रामायण या महाभारत जैसे अमर कथा को सुनते मनो उनके मन में भगवान् स्वम् ही ये कह रहे हो की हे ! पुरुष तुम एक महान आत्मा हो और तुम्हे संसार में एक बड़ा काम करना है | उसी बात को ध्यान में रख कर उन्होंने अपना एक विचार बनाया जिसका की आज सारा संसार पालन करना चाहता है जिससे की वह सफल हो सके और वह विचार है ” उठो जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत ” | ये विचार ही है जो किसी भी इंसान को बड़ा बनाते है | आप सफल होंगे की नहीं ये आपके विचार ही तय करते है |
स्वामी जी के जीवन को पढ़ते वक़्त हमे ये पता चला की स्वामी जी को बचपन से ही गौतम बुद्ध अपने सपने में दिखाई देते थे | जहा उन्हें गौतम बुद्ध कहते की आपका स्थान यहाँ इस घर में ही नहीं है बल्कि आपका स्थान तो भगवान् की खोज में है | इसी बात के बाद उन्होंने एक संस्यासी बनाने का प्रण लिया और अपने परिवार में ये बात सभी को बता दिया की वह एक संस्यासी बनने जा रहे जिस पर की उनके परिवार वाले उन्हें दुखी मन से ऐसा ना करके को कहा , पर स्वामी जी कहा मानाने वाले थे | उन्होंने तो बस अब ठान लिया था जिसके बाद वह एक सन्यासी का रूप अपना चुके थे |
आप उनके संस्यासी विचार को देख ये कदई ना सोचे की वह सिर्फ पुराण , वेद या शास्त्र पढ़ा करते थे , नहीं ऐसा बिलकुल भी नहीं है | वह जितने ज्ञानी कथाओ में थे उससे कई अधिक ज्ञानी वह स्कूल की पढाई और बुक्स में थे | वह किताब पढ़ने के इतने शौक़ीन थे की वह एक दिन में कम से कम 12 15 किताबे पढ़ दिया करते थे वो भी 1 हज़ार पनो वाली किताबे | एक किस्सा उनका यहाँ भी है की जब उन्हें किताबे पढ़ना होता तो वह लिएब्ररी आते और वहा से काफी सारी किताबे ले जाते तब एक दिन वह लिएब्ररी MAN के पास आये और उनसे और भी किताबे मांगी जिस पर की लिएब्ररी MAN ने कहा की तुम्हारे हाथ में ये जो 20 22 किताबे है वो तुमने एक ही दिन में पढ़ डाली क्या? क्युकी कल ही तो तुम इसे ले गये थे यहाँ से? इस पर उन्होंने कहा “हां! मैंने ये सारी किताबे पढ़ ली है” | जिसे सुनने के बाद उस लिएब्ररी MAN ने कहा की “तो चलो! मैं देखता हु की तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो , इसी लिए मैं तुमसे इन किताबो में से कुछ प्रशन पुछूगा और तुम्हे उसके उत्तर देने होंगे | फिर उसके बाद उस लिएब्ररी MAN ने उनसे खूब सरे सवाल पूछे और सभी के जवाब स्वामी ने बिलकुल ही सही दिए , जिसे देख वह दांग रह गया और उन्हें कुछ समय प्रश्चात फिर आने को कहा क्युकी लिएब्ररी में मौजूद सारी किताबे स्वामी जी पहले ही पढ़ चुके थे |
उनकी यादशहत ऐसी थी मानो की उनके सामने विश्व ज्ञान भी कम पड़ जाए | और स्वामी जी की एक और खाशियत ये थी की वह कल्पना बहुत किया करते थे और उन्होंने ही विश्व को कल्पना करने का महत्त्व समझाया था | जिससे की कई बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी मानते है | आज इसी कल्पना को आगे बढ़ा कर योग का नाम दिया गया है और योग के कई आसान इसी कल्पना पर आधारित है |
चलिए जानते है की कैसे उन्होंने हिन्दू धर्म के प्रेरित लोगो को जगाया और ना केवल देश बल्कि विदेश में भी उन्होंने हिन्दू धर्म की एक अलग पहचान लोगो के सामने राखी | आपने शायद उनके भाषण को जरूर सुना होगा | वह भाषण आज तक दुनिया का सबसे अच्छा भाषण रहा है | उस भाषण से पूर्व हम आपको बताते चले की कैसे उनका नाम नरेंद्र दत्ता से बदल कर स्वामी विवेकानद हुआ | दरअशल अपनी कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद उन्हें राम कृष्ण परम हंस जैसे गुरु मिले जिन्होंने की उनके जीवन में अपने धर्म के प्रति उन्हें ज्ञान दिया और उस ज्ञान को लेते समय उनके पिता की मृत्यु हो गयी जिससे की उनके पिरवार पे दुखो का संकट छा गया पर धीरे-धीरे यह संकट चला गया और फिर से स्वामी जी अपने गुरु की चरण में चले गए जहा उन्हें भगवान् के प्रति अपनी आस्था को बनाये रखने और इसे और भी लोगो तक पहुंचने का ज्ञान मिला | लेकिन कुछ ही समय बाद उनके गुरु की कैंसर के कारण मृत्यु हो गई और यही अब स्वामी जी भी अपना जीवन अपने गुरु की तरह ही व्यतीत करने का प्रण लेते है और यही से उनका नाम स्वामी विवेकानद जी महाराज पड़ जाता है |

और बात रही उनकी स्पीच की तो जब उन्हें अपने धर्म को और लोगो तक पहुंचने का सोचा तभी उन्होंने अमेरिका के शिकागो में होने वाले भाषण में भाग लेने का मौका मिला जहा वह 2 साल तक रहे और धर्म के विचार लोगो तक बांटते रहे | शुरू-शुरू में तो उन्हें भाषण में बोलने का मौका तक नहीं मिला क्युकी उनकी वेश भूषा देख लोग उन्हें अनपढ़ समझते थे पर वहा के ही एक आदमी ने उनको बोलने के लिए आगे लाये जिसके बाद स्वामी जी के पहले के कुछ लाइन बोलने पर ही वहा मौजूद सभी लोग ताली बजने लगे | और उनके पहले शब्द थे “सिस्टर एंड ब्रदर्स ऑफ़ अमेरिका ” | यह भाषण करीबन 4 मिनट का था | इस भाषण के ख़त्म होने के बाद वहा के सभी लोगो ने खड़े होकर 2 मिनट तक उनके लिए ताली बजाई थी | वह अपने भाषण के अलगे ही दिन से अमेरिका में खूब चर्चित हुए और उसके बाद उन्होंने ऐसे ही हमारे हिन्दू धर्म का अनमोल ज्ञान लोगो को दिया और हिंदुस्तान का नाम रोशन पुरे विश्व भर में किया |
पर होनी को कौन टाल सकता है उन्हें अपने मृत्यु का बोध पहले ही हो चूका था की वह अब ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह पाएंगे और इसी के चलते वह भारत वापिस लोट आये और अपनी अंतिम सासे भारत में ही ली | मात्र 40 साल की उम्र में ही उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया | पर उन्होंने अपने इसी छोटे समय के दौरान ही वह सब हासिल किया जो कोई बड़े जीवन जीकर भी कई लोग हासिल नहीं कर पता है|
जानिए उनके जीवन से जुडी हर एक छोटी चीजों के बारे में – Swami Vivekananda Biography in Hindi
- Real Name – Narendranath Dutta, Swami Vivekanada ji
- Nick Name – Naren dutta
- Date of Birth – 12 Janurary, 1863
- Father Name- Vishwanath Datta
- Mother – Bhuvaneswari Devi
- Siblings- Bhupendra dutta ,Swarnamoyee devi, Barindra, ullashkar dutta,many more-
- Birth Place- Bengal in Mukharjee nargar, calcutta
- Age – 40( approx lived only)
- Nationality- Indian
- Religion- Hinduism
- Qualification- Graduated from Pesidency College of Calcutta, B.A. Graduated (1884)
- Height- 5ft 9inch
- Weight – 70 (approx)
- Birth Sign- Capricorn
- Marital Status- Unmarried
जानिए स्वामी जी के बारे में कुछ रोचक बाते – Swami Vivekananda Biography in Hindi
- स्वामी जी को चाय पीना काफी पसंद था |
- उनकी अंग्रेजी बचपन से ही काफी अच्छी थी यहाँ तक की अंग्रेज भी उनसे बात करने से डरते थे |
- उनके और उनके प्रोफेसर के बीच काफी चर्चए हुआ करती थी , भगवान् के बारे में जिसमें हमेशा स्वामी जी जीत जाते थे |
- उन्होंने जिस कॉलेज से पढाई की है उसी कॉलेज से सुभाष चंद्र बोसे और सी.वि. रमन जैसे देश भक्तो ने भी पढाई की है
- स्वामी जी को बचपन में ही पुराणों का पूरा अध्यन हो चूका था |
- स्वामी जी के पिता जी कलकत्ता के हाई कोर्ट में काम किया करते थे |
- बचपन में जब भी स्वामी जी क्रोधित होते तो उनकी माँ भुवनेश्वरी देवी उनके ऊपर ठंडा पानी डालती और कहती ॐ नमः शिवाय का जाप करो…और ऐसा करने से वे शांत हो जाते |
- उन्हें जानवरों और चिड़ियों से बहुत प्यार था, लड़कपन में उन्होंने गाय, बन्दर, बकरी और मोर पाल रखे थे |
- पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार पर घोर गरीबी आ गयी. कई बार स्वामी जी घर में झूठ बोल देते थे कि उन्हें कहीं खाने पर invite किया गया है, ताकि बाकी लोगों को ठीक से खाना मिल सके |
- स्वामी जी देखने में बहुत आकर्षक थे इसलिए कई महिलाएं गलत नियत के साथ उनसे मित्रता करने की इच्छुक रहती थीं पर वे कभी इसके लिए तैयार नहीं हुए. एक बार उन्होंने एक महिला से कहा था-
- इन बेकार की इच्छाओं को छोडो और भगवान का ध्यान करो
- BA करने के बाद भी कोई रोजगार ना मिलने से स्वामी जी का भगवान् पर से विश्वास डिग गया था. और वो कहने लगे थे- “ईश्वर का अस्तित्व ही नहीं है |
- स्वामी विवेकानंद के चाचा जी तारकनाथ की मृत्यु के बाद उनकी चाची जी ने स्वामी जी के परिवार को उनके पुश्तैनी घर से निकाल और कोर्ट में एक केस कर दिया जो उनके जीवन के अंतिम समय में ही जा कर खत्म हुआ |
- स्वामी जी को खिचड़ी खाना बहुत पसंद था |
इसी के साथ हम उनके जीवन से जुडी इस जीवनी का यही अंत करते है | हम जानते है की यह बहुत ही छोटा सा पाठ आपको उनके जीवन के बारे में सब कुछ नहीं बता पाया होगा पर प्यास लगी हो तो पानी की कुछ बूंदे भी काम आ जाती है |
हम आशा करते है की आपको हमारा ये पोस्ट अच्छा लगा हो और अगर अच्छा लगा हो तो कृपया हमे एक कमेंट जरूर करे |
और भी पोस्ट पढ़े –
Pingback: Round2Hell Biography in Hindi by Biokatha.com - Biokatha.Com
Pingback: Mangal Pandey Biography in Hindi by Biokatha.com - Biokatha.Com
Pingback: Bhagat Singh Biography in Hindi - Biokatha.Com